जल्दी कुछ करो
यह कहानी मेरे पहले सेक्स की है जब मैं ग्यारहवीं कक्षा में थी! मेरे स्कूल में को-एजुकेशन थी यानि की लड़के और लड़कियां साथ में पढ़ते थे ! घर से स्कूल लगभग दो किलोमीटर दूर था, कभी पापा स्कूल छोड़ आया करते थे कभी मैं खुद पैदल में चली जाया करती थी !
ओह्ह्ह्ह सॉरी आप बोर हो रहे होंगे, सो मुद्दे पे आती हूँ !
एक दिन मैं साइकिल से स्कूल जा रही थी। उस दिन सुबह से हल्की हल्की बारिश हो रही थी। एक मन था कि स्कूल न जाऊँ पर फिर भी मैं चली गई ! रास्ते में कीचड़ था। तभी एक रिक्शे वाले ने जानबूझकर मेरी साइकिल में साइड मार दी, जिससे मैं नीचे गिर पड़ी और मेरे सारे कपड़े कीचड़ से गंदे हो गए ! तभी विकास ने उस रिक्शे वाले को भाग कर पकड़ लिया !
विकास मेरी क्लास में था और मेरी अच्छी दोस्ती थी उससे ! पर मैंने उस तरफ ध्यान नहीं दिया क्योंकि मेरे सारे कपड़े गंदे हो चुके थे और कोहनी भी थोड़ी छिल गई थी। मेरी आँखों से आंसू टपक पड़े ! मुझे अपने आप पर बड़ी कोफ़्त हुई कि इससे तो स्कूल ना में आती तो अच्छा होता !
तब तक विकास रिक्शे वाले को मरता हुआ मेरे पास ले आया। वो लगातार उस रिक्शे वाले को मार रहा था और गन्दी गन्दी गालियां दे रहा था ! विकास का घर सामने वाली गली में में था इसलिए वो और रोब झाड़ रहा था !
विकास ने रिक्शे वाले के कॉलर को झटका दिया और बोला- भोसड़ी के ! तुझे इतनी बड़ी साइकिल नहीं दिखी, साले गांडू !!!!!
रिक्शा वाला हाथ जोड़ कर बोला- भाईसाब ! गलती हो गई माफ़ कर दो !
तब तक काफी भीड़ इकठ्ठा हो चुकी थी।
विकास बोला- साले, मुझसे क्या माफ़ी मांगता है मादरचोद … इन से माफ़ी मांग … विकास का इशारा मेरी तरफ था … !
मुझे गुस्सा तो बहुत आ रही थी पर भीड़ के सामने अच्छा भी नहीं लग रहा था !
तब मैंने विकास को बोला कि रिक्शे वाले को जाने दे !
पर विकास ने दो और थप्पड़ जड़कर ही रिक्शे वाले को जाने दिया !
और विकास मेरे पास आकर बोला- अरे रश्मि, तुम्हारे तो सारे कपड़े गंदे हो गए ! अब स्कूल कैसे जाओगी ???????
"नहीं ! अब स्कूल नहीं जाउंगी, वापस घर जाऊँगी !"मैंने जबाब दिया!
इन कपड़ो में वापस घर ? नहीं नहीं ! चलो, मेरे घर चलो वहां आराम से कपडे साफ़ कर लेना ! विकास ने मेरी साइकिल को उठाते हुए कहा !
मैंने कुछ सोच कर कहा- चलो, यही ठीक रहेगा ! पर तुम भी तो स्कूल के लिए लेट हो जाओगे ??????
अरे ! आज स्कूल में क्या घंटा करेंगे जाकर ? बारिश में तो मैडम भी नहीं आती पढ़ाने ! वो हँसता हुआ बोला !
और मेरे साथ चल पड़ा मेरी साइकिल लेकर पैदल पैदल !
उसका घर सामने ही था ! अपने घर के सामने साइकिल स्टैंड पर लगा कर विकास घर का ताला खोलने लगा !
विकास, क्या घर पर कोई नहीं है तुम्हारे? मैंने पूछा!
विकास- नहीं !
क्यों ? अंकल आंटी कहाँ गए हैं? मैंने फिर सवाल किया !
विकास- अरे मम्मी, पापा तो ऑफिस चले जाते हैं ना ! और नेहा दीदी अपने कॉलेज गई हैं !
ओके ! मैं हल्के से सब बात समझने के अंदाज़ में बोली !
विकास की मम्मी, पापा सरकारी बैंक के कर्मचारी थे ! और नेहा उसकी बड़ी बहन थी जो कॉलेज में थी ! उस समय घर में मेरे और विकास के अलावा कोई नहीं था ! मुझे इसमें कोई परेशानी नहीं थी क्योंकि विकास मेरा अच्छा दोस्त था और मेरी में उम्र का था।