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Tuesday, April 29, 2014

कामुक और उत्तेजक शायरी, sexy poem

हमारी एक मुस्कुराहट पर वो हमसे सेक्स कर बैठे; 
वाह वाह। 
हमारी एक मुस्कुराहट पर वो हमसे सेक्स कर बैठे; 
वो पैंटी पहनने ही वाली थी कि हम फिर से मुस्कुरा बैठे।



अर्ज़ किया है: 
उड़ती हुई फ्रॉक को काबू में रखो; 
उड़ती हुई फ्रॉक को काबू में रखो; 
वाह! वाह! 
पैंटी ना पहनो कोई बात नहीं, कम से कम बगीचा तो साफ़ रखो।





मोहब्बत बहुत अच्छी है वार (War) से; 
क्योंके कंडोम सस्ते मिलते  हैं तलवार से।


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