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Saturday, October 25, 2014

बेरहमी से मसलरहा था..


तो मेरे पति ने मेरा हाथ पकड़ के अपने हाथो तले दबा दिया और अपने प्यासे होट मेरे गालो पर फिसलाने लगा। मेरा दिमाग एक दम से खराब हो रहा था। उसकी कामुक हरकतें मुझे सुलगा रहीं थीं और वो था कि मुझे चोदे से गुरेज कर रहा था और फालतू का फोरप्ले करके मेरी आग भड़का रहा था। ऐसे में मैने अपनी गांड हिलानी शुरु कर दी। अब वो मेरे उपर चढ के मुझे दबा चुका था। अब मै हिल नही सकती थी। धीरे धीरे उसने मेरे होठो पर अपने होठ रख दिये और लगा उनको चूसने मैं बस दिखावा कर रही थी कि मुझे अच्छा नहीं लग रहा है। पर सच तो ये है कि मैं अपनी रुचि प्रदर्शित नहीं करना चाहती थी। इस वजह से मैने उसको ऐसा किया था। धीरे धीरे उसके होठ मेरे होठो को निगल चुके थे। दोनो के होठो के बंद होने से एक दूसरे के मुह का तरल पदार्थ एक दूसरे के अंदर जा रहा था और हम दोनों लगभग एक होने वाले थे। मैं मदहोश होने जा रही थी पर वो पूरे होश में था कि क्या कर रहा है और क्या करना होगा। इसलिए उसने मेरे ब्लाउज के बटन खोल दिये। नीचे से ब्रा का फीता पकड़ के ऐसे खींचा जैसे कि टूट गया।

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