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Thursday, February 6, 2014

मौसी की जबरदस्ती चुदाई की

मौसी की जबरदस्ती चुदाई की

जिम्मी की उम्र 24 साल की है . वो अपनी माँ के साथ मुंबई के अँधेरी में एक फ़्लैट में रहता था. उसके पिता इराक में रहते थे तथा साल में एक बार ही आ पाते थे. इराक की बदतर हालात में वो अपने परिवार को वहां नहीं ले जा सकते थे. इस लिए जिम्मी अपनी माँ के साथ फ़्लैट में रहता था. जिम्मी की माँ रुची एक कम्पनी में मैनेजर के पद पर थी. जिम्मी ने भी अभी हाल ही में एक स्टूडियो में कैमरामैन की नौकरी पायी थी.
एक दिन जिम्मी की मौसी रचना पुणे से मुंबई आ गयी. वो अक्सर ही मुंबई अपनी बड़ी बहन यानी जिम्मी की माँ के यहाँ रहने चले आती थी. रचना का पति पिछले दो साल से कुवैत में था. रचना की उम्र अभी मुश्किल से 35 साल की होती होगी . रचना देखने में काफी सुन्दर थी. वो पुणे में एक ब्युटीपार्लर चलाती थी. इसके लिए वो अक्सर मुंबई चली आती थी. दोनों बहनों में बड़ा ही प्रेम था. दोनों एक साथ ही सोती थी. एक रात दो बजे जिम्मी को प्यास लगी और वो उठ कर हाल में आया. उसने देखा की माँ के कमरे से कराहने की आवाजें आ रही हैं. वो दबे पाँव कमरे के बाहर किवाड़ी के पास सट कर आवाज सुनने लगा. उसने अपनी माँ की आवाज सुनी - आह रचना... अब तो मेरी चूत छोड़ दे. दो बार रस निकल चूका है.

रचना - नहीं दीदी, एक बार और पीने दो न . कितना मज़ा आता है. तुने भी तो मेरी दो बार रस निकाल के पी ना. रुची (जिम्मी की माँ) - ओह रचना, देख अब पहले वाली बात नहीं रह गयी है री. अब जल्दी थक जाती हूँ. रचना - क्या दीदी, जीजा जी भी काफी दिनों से नहीं आये हैं. इतने दिनों तक तो किसी ने नहीं चोदा ना. तो फिर कैसे थक जाती हो? मै भी तो पिछले चार महीनों से किसी से नहीं चुदी हूँ. जीजा जी रहते तो कितना मज़ा आता. याद है पिछले साल जून में जब मै यहाँ आयी थी तो जीजा भी यहीं थे. उन्होंने कितने मज़े से हम दोनों को बारी बारी से चोदा था. रुची - अरे उस से ज्यादा मज़ा तो तब आया था जब मैं , तू और हमारे पति , दो साल पहले गोवा गए थे. वहां हम चारों एक ही कमरे में रुके थे. और मैंने तेरे सामने तेरे पति से चुदवाया और तुने मेरे सामने मेरे पति से चुदवाया. रचना - हाँ, मज़ा तो बहुत आया था. उन सात दिनों के मस्ती को तो मै रोज़ ही याद करती हूँ. मुझे अच्छी तरह से याद है कैसे मेरे पति राकेश ने तेरी गांड मारी थी जब की तू उस समय तक अपने पति से भी गांड नही मरवायी थी. एक तरह से मेरे पति राकेश ने ही तेरी गांड का उदघाटन किया था. रुची - हाँ री, सच में पहले दिन तो बड़ा ही डर लगा. लेकिन तेरे पति राकेश ने जब जबरदस्ती मेरे गांड में अपना लंड डाल दिया तो पहले तो लगा कि मेरी गांड ही फट जायेगी लेकिन धीरे धीरे मज़ा आने लगा था. ये सुन कर जिम्मी हक्का- बक्का रह गया. वो समझ गया था कि अभी दोनों एक दुसरे की चूत चूस रही है तथा अपने कुकर्मों को याद कर कर के खुश हो रही हैं. जिम्मी को अपनी माँ और मौसी पर बड़ा ही क्रोध आ रहा था. जिस माँ को वो आज तक सती- सावित्री समझता रहा वो अपनी छोटी बहन के पति से चुदवा चुकी है. उसे अपने मौसा राकेश पर भी अत्याधिक गुस्सा आया. वो फिर से उन दोनों की बातें सुनने लगा. रचना - क्यों दीदी, जीजा जी तो यहाँ नहीं है, किस से काम चलाती हो आजकल? रूचि - धत पगली. मै क्या कोई रंडी हूँ जो यहाँ वहां मुह मारती फिरुंगी ? बस मुठ मार कर काम चला लेती हूँ. तेरे पति राकेश भी तो कई महीने से बाहर है तू कैसे काम चलाती है. रचना - क्या करूँ दीदी, घर में कोई और सदस्य भी तो नहीं है. एक बुढ़िया सास दिन भर घर में पड़े रहती है नहीं तो कोई न कोई इंतजाम जरुर कर लेती. रुची - आह....मेरी चूत में दांत मत गडा. मेरा माल फिर से निकलने वाला है. इस बार लास्ट है. ओके? रचना - ओके दीदी. तभी रुची की जोर की सिसकारी की आवाज़ आयी. जो कि उसके चूत से माल निकलने के दौरान उसके मुंह से निकल रहा था. उधर उसकी छोटी बहन रचना उसकी चूत से निकली माल को चूस चूस कर पी रही थी. इन सब की आवाज़ सुन कर जिम्मी का लौड़ा ठनक गया. थोड़ी ही देर में रचना की आवाज़ आई - दीदी , मज़ा आ गया. मै पिशाब करने बाथरूम जा रही हूँ. रूचि - हाँ जा. रचना बिना कुछ पहने ही कमरे के बाहर आने लगी तो रूचि ने टोका - अरी, ये क्या, नंगी ही जायेगी क्या? कम से कम नाइटी तो पहन ले. रचना - क्या दीदी, कौन देखेगा मुझे इस वक़्त? यही तो वक़्त होता है जब मै बिना कपडे के जहाँ तहां घूम सकती हूँ. रूचि - अरे , इस वक़्त मेरा बेटा जिम्मी भी घर में , कहीं वो देख लेगा तो क्या कहेगा. रचना - अरे दीदी, वो बेचारा तो सो रहा होगा. और अगर देख भी लेगा तो क्या होगा. जवान लड़का है, जवान मौसी का नंगा बदन नहीं देखेगा तो क्या देखेगा? रूचि - धत, पगली. अच्छा ठीक है जा. जैसी तेरी मर्जी. रचना कमरे से बाहर आने लगी. इधर जिम्मी तेजी से दिवार की ओट में छुप गया. उसकी मौसी रचना नंगे बदन ही कमरे के बाहर आ गयी और हाल का लाईट जला दिया. वो सोच रही थी कि जिम्मी अपने कमरे में सो रहा होगा. लेकिन जिम्मी अपनी मौसी को पुरी तरह से देख पा रहा था. उसकी मौसी का नंगा बदन उसे पागल कर देने को काफी था. मस्त दो बड़े बड़े स्तन, घने झांट में छिपी चूत, गोरा बदन. जिम्मी का दिल जोरों से धड़क रहा था. उसकी मौसी उसके सामने ही बाथरूम गयी और बाथरूम का दरवाजा बिना लगाए हुए ही पिशाब करने बैठ गयी. जिम्मी का हाथ अपने लंड पर चला गया. थोड़ी ही देर में रचना पुनः वापस आयी और अपने कमरे में चली गयी. जिम्मी भी वापस अपने कमरे में चला गया. वो उन दोनों की बातें और अपनी मौसी का नंगा बदन याद कर के पागल हो गया. तभी उसे ये भी याद आया कि उसके मौसा राकेश ने उसकी माँ की चुदाई की है. उसने उसी समय कसम खायी कि इसका बदला वो राकेश की बीबी रचना यानी अपनी मौसी को चोद कर लेगा. अगले दिन रूचि अपने ऑफिस चली गयी. घर में सिर्फ जिम्मी और उसकी मौसी रचना रह गयी थी. दिन के बारह बजे के आसपास जिम्मी अपनी मौसी के कमरे में गया. रचना उस वक़्त नाइटी पहन कर बिस्तर पर लेटी टीवी देख रही थी. जिम्मी के दिमाग में बदला चल रहा था. वो सोच कर ही आया था कि आज वो अपने माँ के साथ किये गए बलात्कार का बदला ले कर रहेगा. उसने कमरे में घुसते ही दरवाजा बंद कर दिया. रचना को थोडा अजीब लगा लेकिन वो सिर्फ मुस्कुरा कर पूछी - क्या बात है जिम्मी, कुछ चाहिए क्या तुम्हे? जिम्मी ने बिना कोई शर्म के रचना के बगल में लेट गया और बोला - मौसी, एक बात कहनी है तुझसे . रचना - हाँ कहो . जिम्मी - तू बड़ी खुबसूरत है. रचना - अच्छा? चलो अच्छी बात है. तू भी बड़ा खुबसूरत है. जिम्मी - मौसी , मै एक बात कहना चाहता हूँ रचना - हाँ बोल ना. जिम्मी - मौसी , मुझे तेरी चूत चोदनी हैं. रचना - हाय राम, ये तू क्या कह रहा है रे. मै तेरी मौसी हूँ. जिम्मी ने अपनी मौसी के जांघ पर हाथ रख कर घसना चालु कर दिया. और कहा - कल रात को मैंने तेरा नंगा बदन देखा तब से मुझे चैन नहीं नहीं. रचना - क्या , तुने मुझे कल रात को देख लिया था? जिम्मी - सिर्फ देखा ही नहीं था.. तेरी बातें भी सुनी थी जो तू कह रही थी कि जिम्मी को अपना बदन दिखने में भी मै नहीं शर्मौंगी. तो अब क्या शर्मा रही हो मौसी? रचना - देख जिम्मी, वो मैंने बातों बातों में कह दिया होगा. लेकिन सच तो ये हैं कि मै तेरी मौसी हूँ. और मैंने जो भी कहा वो तेरी माँ से कहा . हम दोनों के बीच बचपन से ही शारीरिक सम्बन्ध हैं. जिम्मी ने अपने एक हाथ को रचना के चूची पर रखा और मसलते हुए कहा - मौसी, जब मेरे माँ और बाप से तू जिस्मानी सम्बन्ध रखे हुए है तो मेरे से दुरी क्यों? मै क्या तुझे मज़े नहीं दे सकता हूँ? देख तो सही मेरा लंड कितना बड़ा है. कहते हुए उसने अपने पैंट को खोल दिया. उसका लंड साथ इंच का था और एकदम से पत्थर की भाँती खड़ा था. रचना ने उसके लंड की तरफ देखते हुए कहा - देख जिम्मी, माना कि तू जवान है. लेकिन मै तेरे लिए नहीं हूँ. मै तेरी माँ सामान हूँ ना. जिम्मी ने अपना शर्ट उतारते हुए कहा - देख , जब से मैंने तेरी और माँ की रसीली बातें सुनी है और तुझे नंगा देखा है तब से मुझे चैन नहीं है. और तेरे पति ने मेरी माँ को चोदा है. इसलिए इसका प्रायश्चित तुझे करना होगा मुझसे चुदवा के. कहते हुए वो अपनी मौसी के बदन पर नंगा लेट गया. और उसके कपडे उतारने की कोशिस करने लगा. रचना जिम्मी के पकड़ से अपने आप को छुडाने का असफल प्रयास कर रही थी. लेकिन मजबूत कद काठी के जिम्मी के आगे उसका कुछ नही चल पा रहा था. जिम्मी ने बड़े ही मजबूती से रचना के नाइटी को पकड़ा और फाड़ दिया. रचना अब सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी. वो अभी भी थोडा-थोडा कुंमुमना रही थी. जिम्मी ने बिना देर किये उसके ब्रा को उसके चूची से अलग किया और चूची को मुंह में दबा चूसने लगा. रचना नाम मात्र का प्रतिरोध कर रही थी. जिम्मी ने बिना देर किये उसके पैंटी को भी खोल दिया और उसके घने झांट पर अपनी हाथ फिराने लगा. रचना - देख जिम्मी, बहुत हो गया. अब तो तेरा बदला पूरा हो गया. अब तो मुझे छोड़ दे. जिम्मी - अरे वाह! इतनी जल्दी हार मान गयी. अभी तो तेरी चूत चोदनी बांकी है मेरी जान. कहते हुए उसने अपने मजबूत हाथ से रचनी के एक पैर को उठा दिया और अपने लंड को रचना के चूत में डाल दिया. रचना का चूत काफी सिकुड़ चुका था. जिम्मी के विशाल लंड का प्रहार वो आसानी से सहन नहीं कर सकी और चीख पड़ी. लेकिन जिम्मी ने उसकी चीख की परवाह किये बगैर उसकी चुदाई चालु कर दी. जिम्मी के लंड के धक्के से रचना का पूरा शरीर आगे पीछे हो रहा था. वो रो भी रही थी. लेकिन जिम्मी को बड़ा ही मज़ा आ रहा था अपनी मौसी को चोदने में. कुछ ही देर में जिम्मी ने अपने लंड से माल निकलने का सिग्नल महसूस किया. उसने आपनी स्पीड काफी बढ़ा दी. अंत में उसके लंड ने लावा उगल दिया जो कि जिम्मी ने अपनी मौसी के चूत में ही डाल दिया. थोड़ी देर के लिए वो अपनी मौसी के बदन पर लेटा रहा . फिर वो धीरे से उसके बगल में लेट गया और उसकी चूची मसलने लगा. और पूछा - बोल मौसी, कैसा लगा मेरा बदला? रचना - जिम्मी, आज तुने अपनी मौसी को चोद कर सारी हदें तोड़ दी. हालांकि ये सही नहीं था. लेकिन अगर तेरी नजर में तेरा बदला पूरा हो गया तो मै इसे चुपचाप स्वीकार करती हूँ. ये सही है कि मैंने और तेरी माँ ने गोवा में अपने अपने पति को बदल कर एक दुसरे के सामने चुदवाया. लेकिन हम सब एक हमउम्र के थे. और वो एक प्रकार की मस्ती थी. जिसमे हम सभी की सहमती थी. जिम्मी - लेकिन मेरी नजर में, गोवा काण्ड सही नहीं था. इसलिए मैंने तुझसे बदला लिया. लेकिन सच कहूँ, तो तुझे चोदने के पीछे एक और कारण भी है..वो है तेरी मस्त जवानी. कल रात को जब से मैंने तेरे बदन को देखा तो मुझे सच में होश नहीं था. अगर गोवा काण्ड नहीं भी हुआ होता तो आज तू मुझसे नहीं बच सकती थी. रचना - जिम्मी, अगर तू बदला लेने की बात नहीं करता और मुझे प्यार से ही चोदने की बात करता तो मुझे इतना बुरा नही लगता. आज जो तू मेरे साथ कर रहा था मानो मेरा बलात्कार कर रहा था. अगर तुम प्यार से मेरे पास आता और मुझे कहता कि मैंने तुझे नंगा देखा है तो मै फिर से नंगी हो जाती. मैंने कल रात को तेरी माँ से सच ही कहा था कि मुझे जिम्मी के सामने भी नंगी होने में कोई ऐतराज़ नहीं है. जिम्मी - ओह! रचना डार्लिंग, कोई बात नहीं. मेरा बदला पूरा हो गया. अब एक बार प्यार वाली चुदाई होने दे ना. रचना - ये हुई ना बात मेरे जिम्मी राजा. आजा चोद ले मुझे. अरे मै तो कब से बेकरार हूँ एक मस्त लंड को अपने चूत में डलवाने को. तू तो घर का लड़का है. सुन, कल मै तुझे ले कर वापस अपने घर पुणे चलूंगी. फिर वहां हम दोनों जी भर के मस्ती करेंगे. जिम्मी - और तेरी बुढ़िया सास? रचना - अरे , वो तो नीचे के कमरे में पड़े रहती है. उसे तुझ पर थोड़े ही शक होगा. वो तो सिर्फ बाहरी आदमियों पर शक करती है. जिम्मी - तो ठीक है मेरी मौसी. एक राउंड अभी खेल ले. फिर कल से तेरे घर पुणे में धमाल मचाएंगे.. उसके बाद जिम्मी ने 2 घंटे तक अपनी मौसी की चूत की चुदाई की. अगले ही दिन रचना अपनी बहन रूचि से झूठ बोल कर जरुरी काम का बहाना बना कर जिम्मी को अपने साथ पुणे ले कर चली गयी. वहां दोनों ने आज़ादी से एक दुसरे के साथ मज़े किये.

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