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Tuesday, September 8, 2015

नमकीन थी मेरी बुर की पानी

पापा की इलाज़ थी मेरी बुर की पानी 

मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था और अब में बिल्कुल भी रुकना नहीं चाह रहा था. मैंने अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर भाभी की साड़ी को उपर उठाया.. पूरी गांड अब मेरे सामने थी. यारों क्या बोलूं.. सिर्फ़ उस घटना को याद करते हुए लिखने से ही मेरा तो लंड खड़ा हो रहा है.. पता नहीं आप लोगों का क्या हो रहा होगा? जैसे ही उसकी गांड मेरे सामने नंगी दिखी.. में उसकी गांड दबाने लगा.. इसी दौरान में और भाभी दोनों चुप ही थे.. सिर्फ़ हमारी सिसकियाँ निकल रही थी. मैंने अपनी पेंट उतार दी और मेरा लंड अब भाभी को चोदने के लिए तैयार खड़ा था. फिर मैंने भाभी को दीवार के सहारे थोड़ा सा झुकाया.. जिससे भाभी की चूत बिल्कुल उभर कर मेरी आँखों के सामने आ गयी और मैंने सीधा अपना लंड भाभी की चूत मे डालकर उसे चोदने लगा.. भाभी को चोदते हुए मैंने अपना सारा माल भाभी की चूत मे डाल दिया. फिर हम अलग हुए और अपने कपड़े ठीक किये.

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