बेटे ने बनाया माँ को रंडी
भूषण की दादी बोली कि देखो बहू यह आदमी शरीफ लगता है, इसने तुमसे माफी माँगी है इसे माफ़ कर दो, बाबूराव भी बोला कि हाँ वन्दना माफ़ कर दो. तो वन्दना बोली कि ठीक है अमर जी और इधर उधर की बातें होने के बाद अनिल और अमर जाने को निकले उन्होंने बाबूराव के माता, पिता के पैर छुए और बाबूराव को बोले कि चलो बाबूराव और दोनों गले मिले और भूषण को अमर ने कहा कि चलो भूषण बेटे. तभी वन्दना भी बाहर आई. अनिल बोला कि ठीक है आंटी बाय. वन्दना बोली कि बाय बेटे आते जाते रहना और अमर बोला कि अच्छा वन्दना जी में अब चलता हूँ.
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