दोस्त की बहन की चुदाई
हम दोनों रुक गये और सांसे लेने लगे करीब 4-5 मिनट के बाद हमारा लंड फिर से खड़ा हो चुका था और सुहाना को देखकर हमारा दिल भरा नहीं था. फिर मैंने अपने दोनों हाथों को सुहाना की गांड के ऊपर से होकर साईड पर ले गया और उसकी पेंटी पर उंगली घुसाकर ज़ोर से एक झटके में उसके पेंटी को पूरा नीचे कर दिया और बाहर फेंक दिया, वाह क्या मस्त माल था, पूरा गोल गोल? तो मैंने दोनों हाथों से उसकी गांड को पकड़ा और उसकी गांड को फैलाया तो उसकी गांड के छेद पर नज़र गई और सोनू भी देखने के लिए आ गया सुहाना की गांड का छेद. मुझसे रहा नहीं गया, हम दोनों सर झुकाकर उसकी गांड को चाटने लगे, कभी यहाँ तो कभी वहां और उसके दोनों पैरों को मैंने फैला दिया था और उसकी चूत भी नज़र आ रही थी और उसकी चूत पर बाल थे, लेकिन ज़्यादा नहीं, बस ढकने के लिए बहुत थे. सुहाना की चूत के बाल पूरी तरह भीग गए थे वो भी पूरा तरह गरम हो गई थी और अब सोनू अपनी जीभ से सुहाना की गांड के छेद को कभी चाट रहा था. तो कभी छेद के अंदर जीभ को घुसाने की कोशिश कर रहा था.
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