मकान मालकिन की चुदाई
मुझे जब भी मौका मिलता था, में उनसे बात ज़रूर करता और इसी बहाने मुझे उनके गोरे गोरे बूब्स को निहारने का मौका मिलता था और में आंटी के बूब्स को देखकर एकदम पागल हो जाता था, क्योंकि उनके बूब्स बहुत बड़े बड़े थे और साड़ी के आँचल से उनकी एक झलक ही मुझे मिल जाए तो में यही सोचकर उनसे बात करता था. फिर में बातों के बीच में उनके बड़े साईज़ के बूब्स, गांड को देखता रहता और शायद धीरे-धीरे इस बात का अंदाजा आंटी को भी लग गया था कि में उनके जिस्म को घूरता रहता हूँ.
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