मेरा नाम मलाज है। मैं आपको एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ।यह बात उस समय की है जब मैं करीब 10-12 साल का था मैं अक्सर अपने चाचाजान के साथ ही रहता था। चाचा मुझे अपने साथ ही सुलाते थे। फिर अम्मी मुझे देर रात चाचा के पास से लेकर अपने पास सुलाती थी।मैं अक्सर महसूस करता था कि जब अम्मी मुझे लेने आती थी तो कभी कभार मैं जाग जाता था तो लगता था कि चारपाई हिल रही है लेकिन मेरी समझ में कुछ भी नहीं आता था और कुछ देर बाद ही अम्मी मुझे लेकर अपने बिस्तर पर आ जाती थी।खैर यह सब चलता रहा। मैं कभी कभार दिन में भी देखता था कि चचाजान अम्मी की ओर कुछ इशारा करते तो कभी तो वो चाचा के साथ भूसे वाले छप्पर में चली जाती थी और काफी देर बाद निकल कर आती थी।मैं कभी अम्मी से पूछता कि आप वहाँ क्या करने गई थी तो वो कहती- कुछ नहीं बेटा, तेरे चाचा बैलों के लिये तूड़ी लेकर खेत में जा रहे हैं उन्हें तूड़ी बंधवाने गई थी।यह बात उस समय की है जब मैं करीब 10-12 साल का था मैं अक्सर अपने चाचाजान के साथ ही रहता था। चाचा मुझे अपने साथ ही सुलाते थे। फिर अम्मी मुझे देर रात चाचा के पास से लेकर अपने पास सुलाती थी।
मैं अक्सर महसूस करता था कि जब अम्मी मुझे लेने आती थी तो कभी कभार मैं जाग जाता था तो लगता था कि चारपाई हिल रही है लेकिन मेरी समझ में कुछ भी नहीं आता था और कुछ देर बाद ही अम्मी मुझे लेकर अपने बिस्तर पर आ जाती थी।
खैर यह सब चलता रहा। मैं कभी कभार दिन में भी देखता था कि चचाजान अम्मी की ओर कुछ इशारा करते तो कभी तो वो चाचा के साथ भूसे वाले छप्पर में चली जाती थी और काफी देर बाद निकल कर आती थी।
मैं कभी अम्मी से पूछता कि आप वहाँ क्या करने गई थी तो वो कहती- कुछ नहीं बेटा, तेरे चाचा बैलों के लिये तूड़ी लेकर खेत में जा रहे हैं उन्हें तूड़ी बंधवाने गई थी।
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