जेठ की लंड थी मेरा प्यारा खिलौना
मैंने अब जोर जोर से अपने चूत पर साड़ी पहने हुए ही यह बोतल रगडनी चालू कर दी थी.मुझे बोतल का कड़ापन लंड जैसा ही मजा दे रहा था, मेरा जेठ सुरेश कब खड़ा हो कर रूम के दरवाजे के निकट आया कसम से मुझे पता ही नहीं चला. मैंने अपना कम जारी रखा, तभी वह कमाड खोल के अन्दर आया. मैंने उसे देखा और चोंक गई, सुरेश बोला घबराओ मत अनु, कोई दिक्कत नहीं तुम्हारी प्यास मैं समझ सकता हूँ. मैं डर गई थी के ये मेरी पोल ना खोल दे, लेकिन उसके तो इरादे दुसरे ही थे. वोह मेरे करीब आया और बोला करती रहो तुम्हे देख के मुझे भी उत्तेजना हो रही है, वोह उत्तेजना जो पारुल मुझे नहीं दे पाती. यह सुन के मेरी जान में जान आई. तो सुरेश भी अपनी बीवी, जो की शायद जवान लंड की प्यासी थी, उस से खुश नहीं था और मुझे अपनी चूत करने का रास्ता नजर आने लगा. मैंने बोतल फिर से अपनी चूत पर रगड़ने का क्रम चालू कर दिया, सुरेश मेरे पास आया गया और उसने मेरे स्तन और गांड पर हाथ फेरने लगा, मेरे स्तन के निप्पलस अकड गए थे जिनको सुरेश ब्लाउज के उपर से ही दो ऊँगली में लेकर जोर से दबाने लगा, मेरे मुहं से एक आह निकल पड़ी और मैं उसको लिपट गई, उसका गर्म गर्म लंड मेरे चूत के आगे स्पर्श करने लगा. मैं तो उत्तेजित हो चुकी थी इसलिए मैंने तुरंत उसका पेंट खोला और उसका हथियार बहार निकाला, विकास जितना लम्बा नहीं था लेकिन उससे काफी मोटा लंड था उसके बड़े भैया का.
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