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Tuesday, August 4, 2015

माँ की चुदिया गिरी

माँ की चुदिया गिरी 

फिर वो घर से चला गया पापा ने उसे फिर आने के लिये कहा दिन पर दिन बीतते चले गये वो मेरे पापा का अच्छा दोस्त बन गया वीक मैं 2 या 3 बार वो खाना हमारे यहाँ ख़ाता था एक दिन की बात थी मेरे पापा को अगले दिन ऑफीस के किसी काम से भोपाल जाना था 2 वीक के लिये सुबह 6 बजे की ट्रेन थी मैं रात को ही पापा से मिल कर फ्रेंड के यहाँ सोने चला गया अगले दिन सुबह मैं 7 बजे को मैं घर वापस आया मैने मम्मी से पूछा की पापा गये क्या मम्मी ने बोला की हाँ अशोक अंकल उन्हे छोड़ने गये है मैं मम्मी से बोला की मुझको नींद आ रही है रात भर सोया नही हूँ मैं अपने कमरे मैं सोने जा रहा हूँ और मैं अपने कमरे में सोने चला गया 15 मिनिट के बाद डोर बेल बजी मेरी आँख भी खुल गयी तो मैने देखा की अशोक अंकल आये थे.

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