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Thursday, August 27, 2015

दोस्त और मेंने मिलकर माँ की दूध पि

दोस्त और मेंने मिलकर माँ की दूध पि

में अरुण को हमेशा सच्चा और बहुत अच्छा दोस्त मानता था और उसकी खुशी के लिए में कुछ भी कर सकता था। फिर मैंने सोचा कि क्यों ना अरुण को माँ से उसके बचपन का प्यार दिलाया जाए जो कभी माँ मुझे देती थी। अरुण कितना पतला है। इसको माँ का दूध नहीं मिला, मुझे अपनी माँ का रसीला दूध इसको पिलाना ही पड़ेगा। में कितना हट्टा कट्टा हूँ क्योंकि मैंने माँ का दूध 10-11 साल तक पिया है और अरुण ने तो एक भी बार नहीं। अब मुझे कुछ भी करके अरुण का ध्यान मेरी माँ के बूब्स तक लाना पड़ेगा। इतने बड़े बूब्स देखकर तो कोई भी पागल हो सकता है।फिर अरुण क्यों नहीं। यही सोचकर में माँ के करीब लेट गया और अरुण का हाथ उठाकर माँ के बूब्स पर रख दिया अब में सोचने लगा कि कैसे माँ के बूब्स को खोला जाए लेकिन इसकी मेरी हिम्मत नहीं हुई और मैंने भी अपना हाथ माँ के बूब्स पर रखा और सो गया। सुबह जब में उठा तो अरुण सो रहा था और माँ बाहर पापा को नाश्ता दे रही थी। में उठकर माँ के पास किचन मे चला गया और जाकर पानी पीने लगा। तभी माँ मेरे पास आई और बोली कि पता है तुम्हे.. आज सुबह मैंने क्या देखा तुम और अरुण मेरे बूब्स पर हाथ रखकर सो रहे थे।

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