Pages

Saturday, January 31, 2015

कामदार का मस्त लंड


   कामदार का मस्त लंड

लग रहा था कि आज मेरी सुहागरात है, चीरता हुआ लौड़ा देखते ही देखते पूरा मेरी चूत में था। दर्द तो हो रहा था लेकिन जल्दी ही मज़ा आने लगा और हम दोनों एक दूसरे में समां गए। मानो आज मुझे तृप्ति मिल गई हो !
कई तरह से मुझे पेला उसने मुझे ! उसका था कि बहुत मुश्किल से झड़ा। उसने तो मेरी चूत फाड़ दी।
जब मैं कपड़े पहन रही थी तो वो लेटा हुआ अपनी मर्दानगी पर मूछें खड़ी कर मुझे घूर रहा था। तभी उसके दो साथी मजदूर भी अपने अपने काम से वापिस आ गए। तब तक मैंने सिर्फ टॉप पहना था, पेंटी डाली थी।
दोनों मेरे करीब आये और फिर अपने दोस्त को देखा। उसने न जाने क्या इशारा किया कि दोनों मेरे जिस्म के करीब आकर एक मेरी जांघ और दूसरा मेरे मम्मे सहलाने लगा। लेकिन मुझे जल्दी थी मैंने उन्हें अगले दिन आने का वादा किया।

No comments:

Post a Comment