Pages

Saturday, February 6, 2016

आंटी को चोदते चोदते थक गया

आंटी को चोदते चोदते थक गया 

ऐसी एक आंटी जब भी हमारे घर आती थी, मैं सब कुछ भूलकर नज़र बचाकर उन्हीं को देखा करता था. चूंकि तब मुझे संभोग का अनुभव नहीं था, मुझे लगता था कि मेरा सामान उनके शरीर पर फेरनें या टिकाने से ही शायद बहुत आराम मिलेगा. परन्तु मुझे मालूम था कि ऐसा कभी भी मुमकिन नहीं होगा. सो मैं अपना मन मार कर रहता. मैं सोचता था कि मेरा उनको चोरी-छुपे देखना कोई नहीं देखता था, लेकिन मेरा गलतफहमी जल्दी ही दूर हो गया. वे गर्मी के दिन थे, अप्रैल का महीना था. परीक्षा हो चुका था. मैं दिनभर खेलता रहता था. एकदिन शाम के समय अंकल और आंटी आये. मैं भी हमेशा की तरह उनके साथ समय बिताने लगा. आंटी ने एक बड़ा टिफ़िन-डब्बा निकालकर हमको दिया, और कहा कि उसमें घर का बना केक है. केक ढेर सारा था, सो पूरा खाया नहीं गया. हमनें आंटी से कहा कि हम डब्बा बाद में लौटा देंगे.

No comments:

Post a Comment