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Saturday, February 13, 2016

था तो बाप पर अपनी चूत उनसे बचा ना पाई

था तो बाप पर अपनी चूत उनसे बचा ना पाई 

2013 और 2014 में तो पापा ने बहुत से लोगो से पैसा उधर लेकर या कर्ज़ लेकर काम शुरू करने की बहुत कोशिश की पर कोई फायदा नहीं हुआ। स कारण पापा के बहुत से दोस्त भी उनका साथ छोड़ गए, रिश्तेदारों ने भी मुँह मोड़ लिया। मगर पापा ने शराब की लत नहीं छोड़ी। एक दिन पापा के दो दोस्त शर्माजी और गुप्ताजी शाम को हमारे घर आए, वो अपने साथ शराब की दो बोतलें और खाने का सामान ले कर आए थे। जब उन्होने पापा के साथ पीनी शुरू कर दी तो माँ ने मुझे दूसरे कमरे में भेज दिया। दोनों कमरों के बीच में एक जाली का दरवाजा था जिसे मैंने अंदर से लॉक कर लिया पर मुझे बाहर सब दिख रहा था। पापा उनके साथ दारू पी रहे थे और माँ उनके लिए खाने का सामान बना बना के दे रही थी। जब दारू का सुरूर चढ़ने लगा तो उन दोनों हरामियों की निगाह मेरी माँ पर ही टिकी हुई थी। वो दोनों आती-जाती मेरी माँ के बदन को अपनी निगाहों से टटोल रहे थे। पापा तो पी पी के टल्ली हुये पड़े थे, उनको तो कोई होश ही नहीं था। तब शर्माजी ने माँ को अपने पास बुलाया और झूठ मूठ की हमदर्दी दिखाने लगे।

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