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Monday, November 30, 2015

आंटी की चूत और सुहाना सफ़र

आंटी की चूत और सुहाना सफ़र 

अभी कुछ आधा घंटा ही निकला था कि एक और झटका लगा और मुझे उसका पेट छूने का अवसर भी प्राप्त हुआ और मैंने हिम्मत करके अपने हाथ को उसके पेट से नहीं हटाकर मैंने उसके पेट पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और मुझे ऐसा महसूस हुआ कि उसे भी अब मज़ा आ रहा था. फिर मैंने हाथों को फेरना चालू रखा, अब में सोच रहा था कि आगे का काम कैसे पूरा होगा? तभी उसने अपनी शॉल को खोला और कुछ ऐसे लपेटा कि में भी उसके साथ ढक गया, अब क्या था? मुझे पता था कि जैसे ही अंधेरा होगा बस की भी लाईट ऑफ हो जायेगी और कुछ ही देर बाद बस के अंदर की भी लाईट ऑफ हो गयी और बस अब अपनी फुल स्पीड में चल रही थी. कुछ ही देर में एक शहर आने वाला था जहां कुछ सवारियां और चढ़ती है और बस पूरी तरह से फुल हो जाती है.


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