Pages

Friday, November 20, 2015

येही हे मेरा अंतिम चाहत

येही हे मेरा अंतिम चाहत 

उस दिन रोज की तरह वो झाड़ू लगाने आई थी और में हॉल में बैठा टी.वी देख रहा था. उसने आज साड़ी का पल्लू ऐसे रखा था कि मुझे उसके बूब्स ज्यादा से ज्यादा दिख जायें और फिर वो मेरे सामने झाड़ू लगाने लगी और मुझे तिरछी नज़रो से देखने लगी कि में उसके बूब्स को देख रहा हूँ या नहीं. फिर मेरी और उसकी नज़र मिल गई और उसने एक नॉटी स्माइल दी और फिर से झाड़ू लगाने लगी और अपनी गांड मेरी तरफ करके ऐसे झाड़ू लगाने लगी, जिससे उसकी गांड हिलने लगी. मेरे मन में अब कंट्रोल नहीं हो रहा था. मैंने सोचा कि आज कुछ भी हो जाये, आज में इसको चोद कर ही रहूँगा और में उसकी गांड को देखकर अपने लंड को सहलाने लगा और कुछ सोचने लगा. फिर सुधा किचन में चली गई और किचन से मुझे देखने लगी और वो वहां से मुझे नॉटी स्माइल दे रही थी.

No comments:

Post a Comment