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Tuesday, February 3, 2015

धीरे धीरे कर

                                धीरे धीरे कर
फिर मैं पलट गई और बोली- रामू! अब मेरा गाउन उठा दो, और मेरी पीठ की मालिश कर दो, बहुत दर्द हो रहा है।रामू ने मेरा गाउन पीठ से उठा कर पीठ की मालिश चालू कर दी। मैंने दीवार पर लगे शीशे में देख लिया कि अब वो मेरी पैंटी से ढके मेरे चूतड़ों की उठान और पीठ से चपके मेरी ब्रा के स्ट्रेप को घूर रहा था। मैंने जानबूझ कर फेंसी ब्रा और पैंटी अंदर पहन रखी थी, कि उसकी मर्दानगी को जगी सकूं… मैंने कहा- रामू! मेरी ब्रा का हुक खोल दे, फिर

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