चूत की गर्मी
चाची के कमरे के पास पहुँचा तो मुझे कुछ खुसफ़ुसाने की आवाजें सुनाई दी।
मैं ठिठक कर रुक गया और दरवाज़े पर कान लगा कर ध्यान से सुनने लगा।
चाची किसी से कह रही थी– अभी तुम परसों ही तो आये थे, फिर इतनी जल्दी कैसे आना हुआ?
किसी आदमी की आवाज सुनाई दी- मेरी जान, आज तो तुम्हारे पिताजी यानि मेरे ताऊजी ने भेजा है यह सामान देकर। और सच कहूँ तो मेरा मन भी तुमसे मिलने के लिए का बहुत आतुर था।
पुरे कहानी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिय
No comments:
Post a Comment