आंटी की चूत का रस पि कर चुदाई की
मैं उनके रूम के दरवाजे के साइड में बैठा हुआ था. उनका फेस मेरी तरफ नहीं था और उन्होंने रूम में आते ही, टॉवल उतार दिया और अपना सिर पूछने लगी. मेरी तो आँखे फटी रह गयी. पहली बार में ही इतना अच्छा वेलकम. उनकी मोटी गांड मेरे सामने थी. मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था. कुछ ही सेकंड में इतना कुछ हो गया, कि मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था. आंटी जैसे ही पीछे मुड़ी और मुझे देखा, तो फ़ौरन से अपना नंगा जिस्म टॉवल से छिपाने लगी. मैंने अब उनकी चूत और बूब्स के भी दर्शन कर लिए थे. वो एकदम घबरा गयी और पूछा, तुम यहाँ? तुमने बताया भी नहीं. मैं उठा और बाहर चला गया. मेरे बाहर निकलते ही, आंटी ने फटाक से दरवाजा बंद किया. मुझे कुछ समझ नहीं आया और मैं सीधे अपने घर चला गया. पूरी रात मेरी दिमाग में वही चलता रहा और आंटी का नंगा बदन मेरी आँखों के था. रात को १२ बजे के करीब बाथरूम में जाकर मुठ मारी, तब जाकर चैन मिला और मैंने मन ही मन में ठान लिया, कि अब तो आंटी को चोदना ही है.
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