जमकर चुदाई की अपनी माँ की चूत
अब मेरी जिंदगी की हसीन रात का आना बाकी था, में उस रात माँ को चोरी से देखने के बहाने घुटनो पर घसीटता हुआ रूम में जा पहुँचा और मेरे सामने अब जो नज़ारा था तो उसे देखकर में दंग रह गया. अब माँ की साड़ी नींद में घुटनों तक आ गयी थी और पल्लू सीने से हटकर नीचे जा चुका था और जिसकी वजह से उनके बूब्स पूरे दिख रहे थे. अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था तो मैंने धीरे से माँ के पैरों को ऊपर उठाया और दोनों पैरो को हल्का सा दूर किया तो अब मेरे सामने उनकी चूत देखकर में धीरे से 1-1 उंगली अंदर बाहर करने लगा, शायद माँ गहरी नींद में थी तो ये देखकर मेरा हौसला बढ़ गया और में मेरी नाक सीधी उनकी चूत पर ले जाकर उसे सूंघने लगा, क्या ख़ुशबू थी? में तो पागल सा हो गया और अपनी जीभ बाहर निकालकर चाटने लगा. अब धीरे-धीरे माँ के पैर अकड़ने लगे और उसका हाथ मेरे बालों में घूमने लगा तो में समझ गया कि माँ को ये अच्छा लग रहा है, लेकिन में चाहता था कि वो भी मेरा पूरा सहयोग दे.
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