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Friday, March 18, 2016

कामवाली की कमसिन टपकती बुर का पानी

कामवाली की कमसिन टपकती बुर का पानी 

मैं चुपचाप सोने का नाटक करते हुए मजा ले रहा था। पर उससे रहा नहीं गया और उसने मेरे लंड के सुपारे को जो लाल हो चुका था और हल्का सा रस भी टपका रहा था, उस पर आहिस्ता से अपनी जीभ फेरना शुरु किया। मुझसे तो रहा नहीं जा रहा था पर फिर भी मैंने चुपचाप अपनी आँखें बंद रखी। वो शायद समझ चुकी थी कि मैं सोने का नाटक कर रहा हूँ, इसलिए उसने बिना कुछ सोचे मेरे लण्ड को अपना मुँह में लिया और प्यार से चूसना चालू कर दिया। उसकी सांसें जोर से चल रही थी और वो पूरे होश खोकर मेरे लण्ड को अपनी मुँह में ले चूसे जा रही थी।कुछ एक मिनट बाद उसने मुझे पुकारा- सुनील, अब उठ भी जाओ, मैं जान चुकी हूँ कि तुम सोने का नाटक कर रहे हो ! यह सुन कर मैं उठ गया और उसे अपने बाँहों में भर चूमने लगा। फिर मैंने कहा- मेरी रानी, अपने कपड़े तो उतारो ! उसने कहा- तुम ही उतार दो ! मैंने झट से उसके कपरे उतारने शुरु किए और उसे पूरी तरह नंगा कर दिया। उसका नंगा बदन देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया क्योंकि उसकी चूचियाँ और चुचूक पूरे तने हुए थे और बुर पर काली झांटें भी थी। मैं कुछ सोचे बिना उसके चुचूक अपने मुँह में लेकर एक बच्चे की तरह चूसने लगा और वह कहती रही- राजा पी ले स्स्स्सस्स्स्स .... म्मम्मम .. और पी ! और पी .. ख़त्म कर दे सारा दूध .. बहुत दिन से भरी पड़ी हैं ये ! हअइ रअजअ ससससस..मइनइ अअकहइ हओओओ !



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