ये दिल चूत चुदाई का हुवा आसिकी
इतने सालों के बाद अब तो सभी कुछ साधारण सा हो चुका था। राजेश्वर अब तो रोज की तरह ऑफ़िस जाने लगे थे। निशा तो घर में अधिकतर बोर ही हुआ करती थी। ना तो कोई चुदाई, ना ही रंगीली रातें ... बस टीवी देखना और पड़ोस की औरतों से यहाँ की, वहाँ और वहाँ की यहाँ करना... ! जी हाँ, आम औरतों की तरह निशा की आदतें भी होती जा रही थी। पर सच मानिये, निशा इस तरह की महिलाओं में नहीं थी। उन दिनों प्राईवेट पढ़ाई करने वालों का एडमिशन हो रहा था। निशा के भी मन में आया कि अब एम ए भी कर डालूँ। उसे इस सम्बन्ध में अधिक नहीं मालूम था सो वो पास के एक स्कूल में चली आई। सोचा कि वहाँ की अध्यापिकाओं से जानकारी ले लूँगी। स्कूल में संयोग से उसकी जान पहचान वाली महिला मिल भी गई। पर उसकी उस समय क्लास था सो उसने एक अध्यापक से मिलवा दिया। उसका नाम विक्रम था... उसने उसे कैसे क्या करना है सब बता दिया था। फिर उसका मित्र विवेक भी आ गया था। निशा को तो समझने में सच में बहुत उलझन सी महसूस हो रही थी, उसके चेहरे से विवेक ने तो भांप भी लिया था..
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