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Sunday, March 29, 2015

बहन की ननद की कारनमे


बहन की ननद की कारनमे

उस रात मुनमुन फिर पेशाब करने के बहाने मेरे कमरे में आ गयी। मैने उसे अपने बिस्तर पर खींचा। वो मूत के तुरत तुरत आयी थी और उसकी चूत में पेशाब की बूंदे लगी थीं और उसकी पैन्टी गीली थी। शायद वो खुद ही चुदने के लिए उत्तेजित थी जिससे उसकी पैंटी में गीलापन दिख रहा था। मैने सबसे पहले उसकी पैंटी ही खीची। निकालने के बाद हल्के भूरे रोयें वाले चूत को सहलाने लगा। वो मचलने लगी मैने उसके चूंचे भी एक हाथ से थाम लिए और होटों से उसके होटों को चूसने लगा। आह्ह!! उफ़्फ़!! जल्दी करो मम्मी जग जाएगी, तो आफत आ जाएगी। प्लीज अक्षय चोदो ना। मैने कहा मेरी जान इतनी जल्दी भी क्या है दिसंबर के बारह बज रहे हैं तुम्हारी मां की बूढी हड्डियां अभी नहीं जगने वालीं और मैने उसे अपना लंड थमा दिया। वो उसे मसलने लगी। वो दीवानी हो रही थी, पागल हुई जा रही थी, उसकी चूत एकदम गीली और रसीली हो चुकी थी। चूत से बह कर हल्की पानी की धार उसकी गांड के छेद को भी गीला कर चुकी थी।


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