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Thursday, July 2, 2015

जो मज्जा थी रात में वो दिन में कहाँ

जो मज्जा थी रात में वो दिन में कहाँ 

मुझे समझ आ गया, कि मामी ये सब बच्चे के लिए कर रही है. फिर भी मैं वैसे ही लेटा रहा. क्योंकि मैं अगर उनको उठ कर चोद भी देता, तो मैं उन से अगले दिन सुबह नज़र नहीं मिला पता. इसलिए मैंने उसको कोई रेस्पोंस नहीं दिया. करीब १० मिनट हो गये थे और मामी मेरे लंड पर उछल रही थी और अपनी गांड को जोर से हिला रही थी… मेरा पूरा लंड उनकी चूत में अन्दर – बाहर हो रहा था. अब मामी ने अपनी स्पीड भी बड़ा दी और और जोर – जोर से सिस्कारिया भरने लगी. अहः अहः अहहाह रवि हाहाह अहः अहहाह मुह्ह्ह्ह मुह्ह्ह्ह… मेरा भी पानी निकलने वाला था. लेकिन मैं जानता था, कि अगर मामी ऊपर रहेंगी, तो मेरा पानी ठीक से पूरा उनकी चूत में नहीं जा पायेगा.

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