मेरी हवस की शिकार बनी मेरी माँ -भाग 4
पहले तो बसंती अपने बेटे का ये रौद्र रूप देख कर डर गयी. लेकिन उसे भी गांड मरवाने में इतना मज़ा आ रहा था कि वो सारा दर्द बर्दाश्त कर रही थी. फिर चांग ने बसंती के कमर को कस के पकड़ा और पूरी तरह से ऊपर कर दिया. अब बसंती की गांड ऊपर और सिर जमीन पर था. चांग धपाधप धकाधक पुरे वेग से अपना लंड अपनी माँ के गांड में आगे पीछे कर रहा था. उधर बसंती की तो मानो आधी जान निकल रही थी. वो चिल्ला के बोली- मादरचोद, तेरे बाप ने भी कभी मेरी चुदाई इतनी बेरहमी से नही की. तू इतना ज़ालिम कैसे हो गया रे कुत्ता? आदमी का लंड है कि गधे का? कुछ तो रहम कर सूअर. चांग - चुप रह, कमीनी बुढिया, साली , रंडी, आज तेरे चूत और गांड की आग बुझा ना दिया तो मेरे मुंह पे तू मूत देना. और वो बेरहम की तरह अपनी माँ की परवाह किये बगैर अपनी माँ की गांड मारता रहा. पांच - छः मिनट में बसंती भी मस्त हो गयी. उसे भी गांड मरवाने में परम आनंद आने लगा.
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