भोजन भी चोदन भी २
होटल के कमरे में दाखिल होते ही मेडम ने दरवाजा बंध किया और वो मेरी बाहों से लिपट गई. वो मुझे कान, होंठो और गले के ऊपर बेतहाशा चूमने लगी और मेरे लोडे को भी अपने हाथ से दबा रही थी. मेडम के हाथ मेरे लोडे को जोर जोर से दबा रही थी और वो फुल के बड़ा हो रहा था. मेडम ने अब धीरे से मेरी ज़िप खोली और लोडे को बहार निकाल के अपने मुहं में ले बैठी. उसकी यह हरकत ने मेरी हवस की आग में जैसे पेट्रोल फूंका. मैंने अपनी पतलून को खिंच के उतार दी. मेडम मेरा लोडा अपने मुहं में जोर जोर से चला रही थी और मैं उसके बाल को पकड के अपने लोडे के ऊपर दबा रहा था!
२ मिनिट लंड चूसने के बाद मेडम खड़ी हुई और अपने कपडे खोलने लगी. उसकी साडी उतरते ही उसके ब्लाउज में छिपे हुए बूब्स देख के मुझे अपने बदन में गुदगुदी हो रही थी. मेडम ने ब्लाउज खोला तो मैं उसकी बड़ी चुन्चियो को देखता ही रह गया. ऐसा लग रहा था की बड़ी साइज़ के आम को ठूंस ठूंस के ब्रा में भर दिया गया था. बूब्स का एक बड़ा हिस्सा तो ब्रा के बहार ऊपर उभर के आया हुआ था. मेडम ने अभी ब्रा नहीं खोली थी और मैं उसकी चुन्चियो के ऊपर टूट पड़ा. दोनों हाथ में भी वो बूब्स आ नहीं रहे थे. मैं दोनों बॉल्स को दबा रहा था और बूब्स के उपर के हिस्से को जबान से चाट रहा था.
पूरी कहानी पढ़ने के लिये क्लीक कीजिए
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