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Sunday, May 24, 2015

प्रोफेसर से चुदाके आई

प्रोफेसर से चुदाके आई 

दोस्तों को नरगिस का प्यार और सलाम, आपके लिए प्रस्तुत है मेरी चूत की जमकर हुई चुदाई की और एक कहानी…! यह कहानी तब की है जब मैं 20 साल की थी और ट्यूशन पढ़ाने के लिए अरविन्द सर मेरे घर आते थे. अरविन्द सर की उम्र होगी करीब 27-28 और वोह तगड़े और मोटे थे. मैं और जीनत साथ में ट्यूशन लेते थे अरविन्द सर से लेकिन उस दिन जीनत की अम्मी की बर्थ डे थी और वह टयूशन नहीं आई थी और अरविन्द सर ने मेरी मस्त चुदाई कर दी थी…..!
में उपर के रूम में अरविन्द सर के सामने इकोनोमिक्स के सम कर रही थी और उसमे एकाद जगह पर गलती थी, अरविन्द सर ने अपने हाथ मेरे झांघ पर रखे और वहाँ अपने उँगलियाँ दबा के मुझे शिक्षा देने लगे.

 मुझे यहाँ पर उनका हाथ लगने से बहुत अच्छा लगता था लेकिन में कभी भावनाओं में बही नहीं थी, क्यूंकि मुझे लंड का सहारा हमारे नौकर गणेश से पहेले से ही था, इसलिए मैं लंड लेने के लिए उतावली तो नहीं थी. लेकिन आज अरविन्द सर की शिक्षा जैसे की ख़तम ही नहीं हुई, वह झांघ पर ही हाथ रखे हुए थे और अब उनकी आँखों में मुझे चुदाई का कीड़ा साफ़ नजर आने लगा था. वह हाथ को बिना हटाये मुझे और एक सम समझाने लगे और बोले, अब की गलती हुई तो मैं तुम्हे एक अलग ही प्रकार की शिक्षा दूंगा….! मैं तुम्हे नंगा कर के मुर्गा बनवाऊंगा…! मेरे दील में यह सुन के गुदगुदी होने लगी और मैं समझ गयी के जीनत की गेरहाजरी में अरविन्द मुझे चुदाई के लिए तैयार करना चाहता है….!
मैंने सम गिनना शुरु किया और अरविन्द ने जानबुझ के मुझे सब से हार्ड सम दिया था, मुझे यह सम सोल्व करना आता था क्यूंकि मैं और जीनत हार्ड स्टडी पहेले से रट्टा मार लेते थे. लेकिन मुझे भी आज इस अनचखे लंड से खेलने की इच्छा हुई और मैंने सम को गलत किया. अरविन्द के मुहं से मेरी चूत के लिए लाळ टपक उठी उसने दरवाजे जो की स्टडी के लिए हमेशा बंध ही रहेता था, क्यूंकि मेरा छोटा भाई अनूप मस्ती करता था और स्टडी में डिस्टर्ब होता था, उसे डबल चेक किया और वोह मेरे पास आ गया. उसने मुझे कहाँ चलो कपडे उतारो और मुर्गा बनो, इसके अलावा तूम इकोनोमिक्स में कमजोर रह जाओगी. मैंने कहा, नहीं सर में और महेनत करुँगी….माफ़ कर दे इस बार.
अरविन्द बोला, आज तूम को मैं महेनत ही करवाऊंगा….!
मैंने खड़े होने में थोड़ी देर की जानबुझ के और अरविन्द सच में मुझे नग्न करने पर उतारू था उसने खड़े होक मुझे कंधे से खड़ा किया….मैंने जैसे ही अपनी पिली टी-शर्ट खोली वह अंदर की मेरी लाल ब्रा की तरफ कुत्ते के जैसे देख रहा था. अरविन्द ने मुझे ब्रा पेंटी में ही खड़ा कर दिया दीवाल के साथ और मुर्गा बनने को कहा, मेरी 19 साल की उम्र में यह पहेली नंगी शिक्षा हो रही थी मुझे. मैं जैसे ही मुर्गा बनी मेरे बड़े बड़े कूले बहार निकल आयें, मैं आपको बताना भूल गई लेकिन मेरी गांड और चुंचे मेरी उम्र के हिसाब से काफी बड़े थे क्यूंकि मुझे पहेले से ही बड़े चुन्चो से लगाव था इसलिए मैं उन्हें दबाती थी और गणेश के कितनी बार उसकी मालिश और चुदाई भी करवाई थी. अरविन्द सर अब मेरे पास खड़े थे और उनके हाथ में रूलर था, वह मुझे इकोनोमिक्स का वह सम समझा रहे थे और उनकी रूलर मेरी गांड को थपकार रही थी. यकायक मैंने महेसुस किया की अब यह रूलर मेरे कूलो के बिच में आ रहा है. अरविन्द ने रुलर को यहाँ चलाना चालू कर दिया और उसके होंठो पर एक अजीस सी मुस्कान थी. मेरी चूत का रस उसके होंठो तक आ पहुंचा था और मैं भी अरविन्द का लंड टटोलने के लिए उत्सुक हुई पड़ी थी.
रूलर अब वहाँ से हट गया और अरविन्द का हाथ आ गया, मेरी गांड की हलकी हलकी मसाज करता तो कभी उसके उपर एक चमाट लगाता था अरविन्द. मेरी गांड से लेकर चुन्चो तक का भाग बहुत उत्तेजित हुआ पड़ा था और मुझे अब लंड मुहं में डाल के उसका रस पीने की तमन्ना जाग उठी थी.अरविन्द ने मेरे गांड के उपर हाथ चलाते हुए ही कहा, नरगिस कैसा लग रहा है इस अनोखी शिक्षा पा के…मैं कुछ बोल नहीं सकी और तभी मेरी गांड के उपर गरम गरम लोहे जैसी चीज के लड़ने की अनुभूति हुई, मैंने मुर्गे बने बने ही मुड के देखा, अरे यह तो अरविन्द ने अपना लंड बहार निकाल के गांड को लड़ाया हुआ था. उसका लंड 8 इंच का होगा औरर मोटाई में भी कम से कम 2 इंच का. मुझे उसके लंड से गांड के स्पर्श होने पर बहुत ही मजा आ रही थी. मुझे अब चुदाई करवाने की तालावेली लगी हुई थी. मैंने अपना हाथ पीछे किया और लंड को हाथ में लिया. अरविन्द मेरा स्पर्श पा के जैसे की धन्य हो गया हो ऐसे आह आह्ह्ह करने लगा. मैंने उसके तोते को दबाया और वह उछल पड़ा, उसके हाथ सीधे मेरी ब्रा के हुक पर आ गए और उसने उसे खोल दिया, मेरे 36 के स्तन बहार झूल पड़े जो अब अरविन्द के हाथों में थे.
अरविन्द मेरे चुन्चो को मस्त दबाता गया और बिच बिच में मेरी निपल्स को मोड़ता था. मेरी चूत मस्त गीली हो चुकी थी और मैंने भी उसके लंड को सहेला दिया था. मैं उठ खड़ी हुई और अपनी पेंटी भी खोल दी. अरविन्द ने मुझे कुर्सी पे बैठाया और वो कस कस के मेरे चुंचे की मसाज कर रहा था, पागलो की तरह उसने मेरे चुन्चो से खिलवाड़ किया, लेकिन इस पागलपन में मुझे भी बहुत मजा आ रहा था. मैंने उसका लंड हिलाना शरू किया और उसका एक हाथ अब मेरी चूत के होंठो पर फिरने लगा, इधर उधर की खबर लेता हुआ हाथ सीधा चूत की गहेराई में जा पहुंचा और मुझे चुदाई के लिए अब तीव्र झंखना होने लगी. मैं उसके लंड को पकड उसको पूरी लम्बाई तक हिला रही थी. अरविन्द ने मुझे टाँगे फेलाने को कहा. मेरी टाँगे खुलते ही यह 8 का लौड़ा जो चुदाई की मस्ती में आया था वह मेरी चूत में दो झटको में ही जा पहुँचा, मेरी मस्त चुदाई होने लगी.
अरविन्द ने मेरी चूत को मस्त पेलन देना शरु क्र दिया था. वोह मेरी चूत की गहेराई में अपना लंड डालता था और फिर उसे मस्त बहार निकालता था, उसकी चुदाई की झड़प क्रमश: बढ़ती गई आर साथ ही में हम दोनों की साँसे. अरविन्द मुझे होंठो को अपने होंठो में भर लिए, वोह जोर जोर से मेरी जीभ को चूस रहा था और तभी उसके लंड ने चूत के अंदर फव्वारा मार दिया, मेरी चूत उसके ढेर सारे वीर्य से भीग चुकी थी. स्खलन के बाद भी उसने एकाद मिनिट लंड को अंदर रखे रखा….उस दिन के बाद अरविन्द सर और मैं अक्सर चोदने लगे और यह चोदना मेरी शादी के एक साल बाद तक जारी रहा था, फिर अरविन्द का तबादला गोरखपुर हो गया और मुझे पति अनवर के लंड पर ज्यादा निर्भर रहेना पड़ा…..!

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