मेरे भइया की मौत तो कुछ महीने ही हुए थे, भाभी अभी भी घर में सुन्न ही दिखती थी. जब भइया जिन्दा थे तो वह देवर भाभी के सभी मजाक किए करती थी पर अब बिलकुल नहीं. मेरी उनकी उम्र में भी ज्यादा फर्क नहीं था. और मैंने उन्हें चोदने की निगाह से कभी नहीं देखा था, शायद उस दिन भी नहीं. जिस दिन यह घटना हुई. माँ भाभी को काफी कोसने के बाद बाहर चली गई. पापा आफिस ही गए थे. मैं कालेज से आया तो देखा की भाभी रो रही थी. मैंने उन्हें पास बैठाया और समझाया. काफी देर बाद उनका रोना बंद हो गया.
भाभी बिस्तर पर आँख बंद किए लेटी थी. मैं उनके बाल धीरे-धीरे सहलाने लगा. मेरा इरादा बस इतना था कि उन्हें थोड़ा अच्छा लगे और वो रोना बंद कर दें. मैं भी उनके पास ही लेट गया. हमेशा की तरह वह काफी सुंदर लग रही थी. मैं अपना हाथ धीरे से उनके गालों पर आ रहे बाल हटाने को ले गया. तो उन्होंने अपनी आंखे भी नहीं खोली, पंखा चल रहा था. और बाल उन्हें उड़े जा रहे थे. उन्होंने अपने बालों को बिना आँख खोले समेटकर एक तरफ कर दिया और जरा सा मेरी और खिसककर आगे आ गई.
भाभी बिस्तर पर आँख बंद किए लेटी थी. मैं उनके बाल धीरे-धीरे सहलाने लगा. मेरा इरादा बस इतना था कि उन्हें थोड़ा अच्छा लगे और वो रोना बंद कर दें. मैं भी उनके पास ही लेट गया. हमेशा की तरह वह काफी सुंदर लग रही थी. मैं अपना हाथ धीरे से उनके गालों पर आ रहे बाल हटाने को ले गया. तो उन्होंने अपनी आंखे भी नहीं खोली, पंखा चल रहा था. और बाल उन्हें उड़े जा रहे थे. उन्होंने अपने बालों को बिना आँख खोले समेटकर एक तरफ कर दिया और जरा सा मेरी और खिसककर आगे आ गई.
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