Pages

Saturday, August 2, 2014

देसी भौजाई के पिछवाड़े में लौड़ा ठोक दिया - इंडियन चूत कहानी

देसी भौजाई के पिछवाड़े में लौड़ा ठोक दिया

बलबहादुर बो भौजी बड़ी ही चुदक्कड़ हैं और उनकी गांड तो ये मस्त है दोस्तों के उसके बारे में सोच कर मैं दशकों से मूठ मारता रहा हूं। तो आज जो कहानी मैं आपके लिए लाया हूं वह एक दमदार कहानी है जिसके बारे में आपको मैं नाम बदल के कहने जा रहा हूं। बलबहादुर पाड़े हमारे पड़ोसी हैं और उनकी मेहरारु बोले तो बीबी, इतनी सेक्सी है कि वो उसे चोदते ही रहते हैं। खेत से आके चोदेंगे, जाने से पहले चोदेंगे और जब भी काम से फुर्सत मिलेगी, उसे आके चोद देंगे। बस भौजाई भी इतनी चुदवासी कि हमेशा चूत खोल कर चुदवाने के लिए तैयार। फल स्वरुप आज उनके 5 बच्चे हैं लेकिन भौजाई के कस बल ढीले न हुए। समय बीतने के साथ बलबहादुर जी ढीले पड़ गये। मर्द हो, लँड पर वक्त का प्रभाव पड़ता है, लेकिन चूत तो जितना ठेलोगे उतना फैलेगी। हद है, ये तो जुल्म है मर्दों के साथ। पर क्या करें सच्चाई भी यही है। तो भौजी को चुदाई का आसरा हर पल लगा रहता था।

मैं नया नया जवान हुआ था, और भौजाई के जलवे बहुत पहले से देख रहा था। तो चोदने के लिए फैंटेसी बना रहे मेरे मन ने भौजी को पेलने का प्लान बनाया था, पर जुगाड़ नहीं लग पा रहा था। बस एक दिन की बात है मौका मिल ही तो गया। मैने भाभी को चोदने के लिए हर पल ताक झांक जारी रखी। एक सुबह जाड़े की, ठंड का मौसम, अंधेरा अल्ल सुबह! हर कोई रजाई में दुबका हुआ, मैं छत पर टहल रहा था कि भाभी की भैंस डकार मारने लगी, बां!!! बां!! बां!! ये क्या, लगता है भाभी की भैंस गरम हो गयी है। आज भैया घर में नहीं थे। मैं क्या करुं, मैंने बाहर देखा तो भाभी भैंस को मार रही थीं, डंडे डंडे, साली, गंवार, छिनाल रोज भैंसे से चोदवाती है पर फिर भी गरम ही रहती है। मैं क्या कहूं परिशान हो गयी हूं आज तो इसके भैया भी नहीं हैं यहां पर। मैने खंखारा, आं हां खार्र खर्र! भाभी ने उपर देखा और मुझे देख कर उनकी बांछें खिल गयीं, अरे बबुआ, इधर आओ, तुम कहां थे।


पूरी कहानी पढ़ने के लिये क्लीक कीजिए

No comments:

Post a Comment