चेकअप भी सेक्सअप भी
बात उन दिनों की है जब मैं अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद एक सीनियर डॉक्टर के क्लिनिक में काम करने लगा था…वहाँ उसने एक मस्त सी माल को भी लगा रखा था काम पर…
उन दिनों कॉलेज से निकलने के बाद मुझ पर जवानी के मजे लेने का ज्यादा ही जोश था और मैं हर लड़की को बस एक बार प्यार करने की ही सोचता था। क्लिनिक में काम करने वाली उस अप्सरा का नाम मालविका था और उसका कहर ढाता जिस्म किसी को भी दीवाना बनाने के लिए काफी था… वो बहुत ही खूबसूरत और छरहरे बदन की थी, उसका बदन 34-30-36 का तो होगा, उसके मम्मे बड़े ही नुकीले थे और उसकी हर चाल के कदम से उसकी हिलते हुए चूतड़ किसी के भी सोते लंड को खड़ा करने के लिए काफी थे।
मैं भी उस हसीं मालविका का दीवाना हो चला था.. मन ही मन मैं उसे सोच कर मुठ मारा करता था.. मैं उसे मन ही मन चोद भी चुका था।
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