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Thursday, April 16, 2015

लंड के बिना दिल है के मानता नहीं

लंड के बिना दिल है के मानता नहीं

विनोद का यों बार-बार बाहर जाना कभी बोम्बे, कभी देहली तो कभी विदेश, महीने में 10 से 15 दिन दिन का टूअर होता है जो मुझे परेशान रखता है। चाहे मुखमैथुन ही सही, पर उनका सुंदर लिंग देखने को तो मिल जाता है न ! और फिर अन्तर्वासना और चैटिंग पर सेक्स की बात करके मेरा क्या हाल होता होगा,

अगर लिंग न मिले चूसने को और खाने को? नीचे चूत कैसे फड़कती है, बिना लिंग के चूत? यह मुझसे बेहतर कोई नहीं जान सकता है !कहानी की शुरुआत होती है बहुत भावुक माहौल से ! एक बार ये जयपुर गए थे और रास्ते में बस-दुर्घटना हो गई। यह खबर देने के लिए इनका दोस्त सुनील आया, मैं नहा रही थी, बाथरूम मैं थी,

"भाभी ! भाभी !" आवाज दी उसने- आप कहाँ हैं?मैंने कहा- मैं बाथरूम मैं हूँ !उसकी आवाज मैं बहुत खौफ और दर्द था, वो रुआंसा हो रहा था।मैंने कहा- क्या हुआ सुनील जी?

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