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Tuesday, April 21, 2015

रात बिस्तर मे चूत से अपने जेठ के खड़े लंड


 रात बिस्तर मे चूत से अपने जेठ के खड़े लंड

साथ ही साथ रीमा ने ये भी सोच लिया कि आज रात बिस्तर मे वो दोनो से इस शंतु के बारे मे ज़रूर पुछेगि..शायद दोनो मे से कोई उसके बारे मे कुच्छ जानता हो.रीमा ने रवि की पूरी डाइयरी छान मारी थी,पर कही भी शंतु का नाम नही था सिवाय उस आखरी पन्ने के इस कारण रीमा को ये पता नही था कि ये शंतु रवि का कोई दोस्त,रिश्तेदार या फिर कोई ऐसे ही जान-पहचान वाला था...लेकिन उसे इतना यकीन क्यू था कि शंतु से उसे रवि की मौत के बारे मे कुच्छ अहम बात पता चल सकती है?...ऐसा भी तो हो सकता है कि दोनो ने किसी अफीशियल काम के बारे मे 1 दूसरे से बात की हो..ये बस 1 इत्तेफ़ाक़ हो कि शंतु की कॉल आखरी कॉल थी रवि के मोबाइल पे...हो सकता है जैसा वीरेंद्र जी & शेखर मानते थे,सच मे रवि की मौत 1 आक्सिडेंट थी & वो खमखा अपने मन मे शक़ लिए बैठी थी.



उसने अपना सर झटका..जो भी हो,अगर मन मे शक़ है तो उसे दूर करना ही होगा..वो आज रात दोनो से शंतु के बारे मे ज़रूर पुछेगि मगर इस से पहले दोनो को दोपहर मे आने वाली ब्लॅंक कॉल्स के बारे मे बताएगी.

"क्या???!",शेखर चौंक गया,"..& तुम आज बता रही हो!"

"मुझे लगा कि कोई शरारत कर रहा होगा,उस दिन डाँटने के बाद दोबारा नही करेगा..मगर उसने जब आज फिर से कॉल किया तो मैने सोचा कि आप लोगो को बता दू."

तीनो ड्रॉयिंग रूम मे बैठे चाइ पी रहे थे.विरेन्द्र जी खामोशी से चाइ के घूँट भरते रहे.शेखर ने कहा कि वो इस बारे मे कुच्छ ज़रूर करेगा.उसे कल फिर दिल्ली जाना था & उसी सिलसिले मे वो किसी काम से बाहर चला गया & कह गया कि खाने के वक़्त तक वापस आएगा.

"तुम्हे लगा रहा है कि ये ब्लॅंक कॉलर कही रवि की मौत से जुड़ा हुआ है,है ना?"

"जी!",रीमा ने कप नीचे किया,"जी.हां."

"ह्म्म.",विरेन्द्र जी ने कप खाली कर टेबल पे रखा,"बिल्कुल मत घबराना.इस कॉलर का भी पता लगा लेंगे & तुम्हारे मन के बाकी शुबहे भी दूर कर देंगे."

जवाब मे रीमा बस मुस्कुरा दी.
रीमा नहा कर बाथरूम से बाहर आई & 1 छ्होटी स्लिप स्टाइल की नाइटी पहन ली जो बस उसकी गंद के नीचे तक आ रही थी,इसके उपर उसने 1 ड्रेसिंग गाउन डाल लिया & किचन से पानी लेने चली गयी.हर रात की तरह ही आज रात भी उसने अपने ससुर को कह दिया था कि वो सो जाएँ,वो देर से उनके पास आयेगी.

पानी पीते वक़्त उसे शेखर ने पीछे से अपने आगोश भर लिया,"आप भी ना मरवाएँगे मुझे!आप ही के पास तो आ रही थी,थोड़ा इंतेज़ार नही कर सकते थे?",रीमा घूम कर उसके सामने आ गयी.

शेखर ने उसे किचन के काउंटर से टिका दिया & चूमने लगा,"..उम्म्म्म....यहा नही..कही पिता जी ना आ जाएँ.",शेखर ने उसकी जंघे पकड़ उसे गोद मे उठा लिया तो रीमा ने भी अपने बाहे उसकी गर्दन मे डाल दी & उस से लिपट उसके सर को चूमने लगी.

अपने कमरे मे आ शेखर बिस्तर पे बैठ गया & गोद मे बैठी रीमा को चूमने लगा.रीमा भी उसके बालो मे हाथ फिराती उसकी किस का जबाब देने लगी.हाथ आगे ला शेखर ने गाउन के सॅश को खोला & फिर उसे उसके कंधो से सरका दिया,रीमा ने भी अपने हाथ अपने जेठ के सर से हटा नीचे ले जा के गाउन को गिरने दिया.

"वाउ..!आज तो कहर ढा रही हो.",शेखर उसकी मक्खनी जंघे सहलाता हुए उसकी गर्दन चूमते हुए उसके क्लीवेज तक पहुँच गया.

"ओह्ह्ह्ह...!",उसने रीमा के सीने पे हल्के से काट लिया.रीमा ने उसके सर को अपने सीने से उठाया & फिर उसकी टी शर्ट उतार दी,फिर नीचे झुकी & उसके चिकने सीने पे काट लिया,"..आहह..!",शेखर उसकी ओर देख मुस्कुराया.

दोनो फिर से 1 दूसरे से लिपट कर चूमने लगे,रीमा चूमते हुए अपनी चूत से अपने जेठ के खड़े लंड को रगडे जा रही थी.शेखर के हाथ उसकी स्लिप के अंदर घुस उसकी पीठ पे फिसल रहे थे.उसने ब्रा नही पहनी थी & जब भी शेखर के हाथ उसकी पीठ पे घूमते हुए उसकी बगलो मे आ कर उसकी चूचियो को छु जाते तो उसे गुदगुदी सी होती.

शेखर पूरे जोश मे आ चुका था & अब उसकी गर्दन चूमता हुआ,उसकी नाइटी मे घुसे हाथ से उसकी चूचिया मसल रहा था.रीमा भी अपने जेठ की हर्कतो का पूरा मज़ा लूट रही थी,उसके नाख़ून उसकी पीठ पे खरोंच रहे थे.शेखर के होंठ उसके गले से नीचे उसके क्लीवेज पे पहुँचे तो उसके दिल मे चाह उठी की अब वो इन मस्त गोलैईयों को अपने मुँह मे भर ले.

अपनी चाह पूरा करने के लिए उसने स्लिप को 1 ही झटके मे उठा कर रीमा के बदन से अलग कर दिया,इस काम मे रीमा ने भी अपने हाथ उठाकर उसकी पूरी मदद की.चूचियाँ नंगी होते ही शेखर उनपे टूट पड़ा.उसकी गोलैईयों को अपने हाथो तले दबा & मसल कर उसने अपने होंठो से उन्हे जम कर चूमा & चूसा.रीमा मस्ती मे आँहे भरने लगी.शेखर उसके निपल्स को अपनी उंगलियो मे मसल जब उसकी पूरी चूची को अपने मुँह मे भरने की कोशिश करता तो वो पागल हो उसके सर को पकड़ अपनी कमर उसकी गोद मे और दबा कर हिलने लगती.कोई 15 मिनिट तक उसकी चूचियो से खेलने के बाद शेखर ने रीमा से खड़े होने को कहा.

बैठे हुए उसने अपनी ट्रॅक पॅंट निकल दी & नंगा हो गया,"अपनी पॅंटी उतारो."

रीमा ने धीरे से अपनी पनटी उतार दी,अब उसकी चिकनी,गीली चूत ठीक उसके जेठ के चेहरे के सामने थी.शेखर ने उसकी गंद को हाथो मे भर अपने होठ उसकी चूत पे लगा दिए,"..आआआअहह....",रीमा कराह कर उसके सर को पकड़ च्चटपटाने लगी.

उसकी च्चटपटाहत से बेपरवाह शेखर उसकी चूत को चाटता रहा,उसकी जीभ किसी साँप की तरह रीमा के बिल मे आना-जाना कर उसे तडपा रही थी.रीमा की टाँगो मे तो जैसे जान ही नही बची थी.जैसे ही शेखर की जीभ ने उसके दाने को छेड़ा,वो झाड़ गयी & बस उसकी गोद मे गिर पड़ी.मुस्कुराते हुए शेखर ने उसकी गंद को उठाया & उसे अपने लंड पे बिठा लिया.

अब रीमा पानी चूत मे शेखर का लंड लिए उस से लिपटी बैठी थी,"आप बहुत बदमाश हैं.",उसने उसके कंधे पे हल्के से काट लिया.शेखर ने नीचे से हल्के-2 धक्के लगाने शुरू कर दिए.

"ऊन्णंह...",रीमा ने कराह कर उसके कंधे से सर उठाया & उसके चेहरे को हाथो मे ले उसकी आँखो मे झाँकने लगी,"कल फिर चले जा रहे हैं?यहा अकेले मैं कैसे रहती हू,पता है?",उसने बनावटी नाराज़गी से कहा.

"उम्म्म्म........बस यही सब कर मुझे चुप करा देते हैं..आनन्न..हह..",शेखर ने नीचे से थोड़े तेज़ धक्के लगा उसकी गंद मे 1 उंगली घुसा दी थी & साथ ही उसकी छाती को मुँह मे भर ज़ोर से चूस लिया था.

"जल्दी वापसा आऊंगा.",उसकी चूचिया दबाते हुए वो अभी भी उसकी गंद मे उंगली कर रहा था.

"1 बार भी मुझे यहा घुमाया नही है.बस घर मे पड़ी बोर होती रहती हू..कोई दोस्त भी तो नही है यहा मेरा.",उसने उसकी पीठ पे नाख़ून गाड़ते हुए उसके गाल को चूम लिया,"आपके तो यहा बहुत दोस्त होंगे ना?बचपन से आप & रवि यही रहे हैं."

"हां,बहुत दोस्त हैं.",शेखर का 1 हाथ उसके चेहरे को सहला रहा था.

"ह्म्‍म्म......",शेखर ने उसके गुलाबी होटो पे उंगली फिराई,"आप रवि के भी सभी दोस्तो को जानते होंगे?"

"हां...यहा तो सभी को जनता हू.",वो उसकी गर्दन सहलाता हुआ नीचे आ रहा था दूसरे हाथ की 1 उंगलीरीमा की गंद छेड़े जा रही थी.

"किसी शंतु को जानते थे?",1 पल को शेखर के बदन ने हरकत बंद कर दी पर वो तुरंत होश मे आया & फिर से उसके बदन से खेलने लगा.

"नही तो.क्यू?कौन है ये?",उसके लंड & उंगली की रफ़्तार बढ़ गयी थी.

"ऊऊ...हह.....पता नही.यू ही रवि की टेली....फोन डाइयरी पल..अट रा..आहह....रही थी की ये ना..आम..आअन्न्‍णणन्...न्नह...दिखा...अंजान नाम था...अभी ओईईईई....ख़याल आया तो आपसे ऐसे ही पूच्छ लिया....ऊऊुउउइईईईईई...!",शेखर के धक्के बहुत तेज़ हो गये थे & उसकी उंगली का छेड़ना भी,रीमा जोश मे पागल हो गयी.अपने जेठ को अपनी बाहो मे कस कमर हिला उसकी गोद मे उच्छलते हुई उसने अपने नाख़ून उसकी पीठ मे गढ़ा दिए & होठ उसकी गर्दन मे.शेखर भी उसे अपने आगोश मे भींच बस उसकी चूत & गांद को चोदे जा रहा था...रीमा के बदन मे बिजली दौड़ गयी & वो शेखर से चिपेट जोश मे पागल हो उसके कान मे जीभ फिराती हुई,बेचैनी से कमर हिलाती झाड़ गयी..तभी शेखर ने भी आह भरी & उसके सीने पे होंठ दबाए उसकी चूत मे अपना विर्य छ्चोड़ दिया.

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